ऑफिस में खुशी और शांति पाने के अचूक नुस्खे इन्हें अनदेखा करना बड़ी भूल होगी

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क्या आप भी सुबह उठते ही सोचते हैं, ‘आज फिर काम पर जाना है’? यह एहसास हम में से कई लोगों को होता है। मैंने अपने अनुभव से सीखा है कि काम का तनाव और रोजमर्रा की भागदौड़ कभी-कभी इतनी हावी हो जाती है कि खुशी से काम करना एक दूर का सपना लगने लगता है। खासकर आज के इस तेज़ी से बदलते डिजिटल दौर में, जहाँ वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखना अपने आप में एक कला है, खुश रहना और अपनी पेशेवर ज़िंदगी का आनंद लेना बेहद ज़रूरी है। मैंने खुद भी कई ऐसे पल देखे हैं जब लगा कि बस अब और नहीं, लेकिन कुछ छोटे-छोटे बदलावों से मैंने अपनी कार्यशैली और मानसिकता में सुधार किया। आइए, सटीक जानकारी प्राप्त करते हैं।

क्या आप भी सुबह उठते ही सोचते हैं, ‘आज फिर काम पर जाना है’? यह एहसास हम में से कई लोगों को होता है। मैंने अपने अनुभव से सीखा है कि काम का तनाव और रोजमर्रा की भागदौड़ कभी-कभी इतनी हावी हो जाती है कि खुशी से काम करना एक दूर का सपना लगने लगता है। खासकर आज के इस तेज़ी से बदलते डिजिटल दौर में, जहाँ वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखना अपने आप में एक कला है, खुश रहना और अपनी पेशेवर ज़िंदगी का आनंद लेना बेहद ज़रूरी है। मैंने खुद भी कई ऐसे पल देखे हैं जब लगा कि बस अब और नहीं, लेकिन कुछ छोटे-छोटे बदलावों से मैंने अपनी कार्यशैली और मानसिकता में सुधार किया। आइए, सटीक जानकारी प्राप्त करते हैं।

मानसिकता में बदलाव: काम को बोझ नहीं, अवसर समझें

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हमेशा यह देखना कि काम कितना मुश्किल है या कितनी देर तक करना है, हमारी ऊर्जा को सबसे पहले खत्म करता है। मुझे याद है, एक समय था जब मैं हर सुबह उठते ही काम की लिस्ट देखकर घबरा जाता था। लेकिन फिर मैंने एक साधारण-सी बात सीखी: हमारी सोच ही हमारे अनुभव को आकार देती है। मैंने काम को एक बोझ की बजाय, अपने कौशल को बेहतर बनाने, नए लोगों से जुड़ने और समाज में कुछ योगदान देने के एक अवसर के रूप में देखना शुरू किया। यह सिर्फ कहने की बात नहीं है, मैंने इसे अपने जीवन में उतारा है। जब आप अपने काम को एक चुनौती के बजाय एक सीखने का अवसर मानते हैं, तो हर दिन कुछ नया करने की उत्सुकता जागती है। यह आपके अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा भर देता है जो आपको सुबह बिस्तर से उठने और अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। मैंने खुद अनुभव किया है कि जब यह बदलाव आया, तो मेरी प्रोडक्टिविटी भी कई गुना बढ़ गई और मुझे काम में पहले से कहीं अधिक आनंद आने लगा।

1. अपने ‘क्यों’ को पहचानें

यह बहुत ज़रूरी है कि आप अपने काम के पीछे के बड़े उद्देश्य को समझें। मैंने खुद को यह सवाल पूछकर शुरू किया कि ‘मैं यह काम क्यों कर रहा हूँ?’ क्या यह मेरे परिवार के लिए है?

क्या यह किसी बड़े सपने को पूरा करने के लिए है? या यह समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने के लिए है? जब आप अपने काम के पीछे के गहरे ‘क्यों’ को पहचान लेते हैं, तो हर छोटा काम भी एक बड़े लक्ष्य का हिस्सा लगने लगता है। यह आपको मुश्किल समय में भी प्रेरित रखता है। मुझे याद है, जब मैंने अपनी पहली बड़ी परियोजना पर काम किया था, तो कई बार ऐसा लगा कि मैं हार मान लूं। लेकिन जब मैंने अपने ‘क्यों’ को याद किया – कि यह परियोजना कैसे हज़ारों लोगों के जीवन को बेहतर बना सकती है – तो मुझे आगे बढ़ने की अदम्य शक्ति मिली। यह सिर्फ एक काम नहीं, बल्कि एक मिशन बन गया।

2. नकारात्मकता से दूरी

कार्यस्थल पर नकारात्मकता एक ज़हरीली बेल की तरह होती है जो धीरे-धीरे हमारी सारी ऊर्जा सोख लेती है। मैंने सीखा कि शिकायत करने वाले सहकर्मियों या हमेशा नकारात्मक बातें करने वाले माहौल से दूर रहना कितना महत्वपूर्ण है। शुरुआत में यह मुश्किल लग सकता है, लेकिन मैंने सक्रिय रूप से सकारात्मक लोगों की संगति चुनना शुरू किया। ऐसे लोग जो समाधान पर ध्यान देते हैं, समस्याओं पर नहीं। यह बदलाव मेरे मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुआ। मैंने पाया कि जब आप सकारात्मक माहौल में होते हैं, तो आपकी अपनी सोच भी अधिक रचनात्मक और आशावादी हो जाती है, और काम में आनंद आने लगता है।

कार्य-जीवन संतुलन: सीमाओं का सम्मान करना

आधुनिक दुनिया में काम और निजी जीवन के बीच एक पतली रेखा खींचना बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है। ईमेल रात को भी आते हैं और वीकेंड पर भी काम की याद दिलाते हैं। मैंने खुद को इस दुष्चक्र में फँसते देखा है, जहाँ काम कभी खत्म ही नहीं होता था और मेरा निजी जीवन प्रभावित होने लगा था। मुझे याद है, मैं अपने परिवार के साथ डिनर पर भी लैपटॉप खोले बैठा रहता था। लेकिन मैंने महसूस किया कि अगर मैं अपनी सीमाओं का सम्मान नहीं करूँगा, तो कोई और नहीं करेगा। मैंने सचेत प्रयास किए अपनी काम की आदतों को बदलने के लिए और अपने लिए कुछ नियम बनाए जिनका मैंने सख्ती से पालन किया। इससे न केवल मेरा निजी जीवन बेहतर हुआ, बल्कि जब मैं काम पर वापस आता था, तो अधिक तरोताज़ा और केंद्रित महसूस करता था। यह संतुलन बनाना एक सतत प्रक्रिया है, लेकिन यह हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।

1. निश्चित कार्य समय निर्धारित करें

मेरे अनुभव में, काम के लिए एक निश्चित शुरुआत और अंत का समय तय करना बहुत प्रभावी रहा है। मैंने अपने आप से वादा किया कि एक बार जब घड़ी शाम 6 बजेगी, तो मैं अपना लैपटॉप बंद कर दूँगा और काम के ईमेल चेक नहीं करूँगा। शुरुआत में यह थोड़ा अजीब लगा, क्योंकि ऐसा लगता था कि मैं कुछ खो रहा हूँ, लेकिन जल्द ही मैंने देखा कि यह मुझे निजी समय का पूरी तरह से आनंद लेने में मदद करता है। यह एक अनुशासन है जिसे मैंने धीरे-धीरे विकसित किया है। यह मुझे रात को अच्छी नींद लेने और अगले दिन के लिए खुद को रिचार्ज करने का मौका देता है।

2. ‘ना’ कहना सीखें

यह सबसे मुश्किल चीज़ों में से एक थी जो मैंने सीखी। मुझे हमेशा लगता था कि अगर मैं किसी काम के लिए ‘ना’ कहूँगा तो लोग मुझे अनाड़ी समझेंगे या मेरी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाएँगे। लेकिन मैंने महसूस किया कि हर काम के लिए हाँ कहने से मैं अपनी क्षमता से ज़्यादा काम ले लेता हूँ और अंततः burnout का शिकार हो जाता हूँ। मैंने ‘ना’ कहना सीखा, खासकर उन कामों के लिए जो मेरी प्राथमिकताओं के अनुरूप नहीं थे या मेरी सीमा से बाहर थे। यह मुझे अपने सबसे महत्वपूर्ण कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने और उन्हें बेहतर ढंग से करने में सक्षम बनाता है।

निरंतर सीखना और विकास: खुद को बेहतर बनाना

आज के तेज़ी से बदलते पेशेवर परिदृश्य में, स्थिर रहना पीछे हटने जैसा है। मैंने हमेशा खुद को अपडेट रखने और नई चीज़ें सीखने पर ध्यान दिया है। मुझे याद है, जब मैं अपने करियर के शुरुआती दौर में था, तो मुझे लगता था कि डिग्री मिल गई तो सब हो गया। लेकिन जल्द ही मैंने महसूस किया कि ज्ञान एक बहती नदी की तरह है – अगर आप उससे जुड़े नहीं रहेंगे, तो वह आपसे दूर हो जाएगी। मैंने सक्रिय रूप से ऑनलाइन कोर्स किए, किताबें पढ़ीं और वर्कशॉप में भाग लिया। यह सिर्फ़ नए कौशल सीखने के बारे में नहीं है, बल्कि यह अपने आप को चुनौती देने और अपने आरामदायक क्षेत्र से बाहर निकलने के बारे में है। यह विकास की भावना आपको प्रेरित रखती है और आपके काम में एक नया उत्साह भर देती है।

1. नए कौशल विकसित करें

यह सिर्फ़ आपके करियर के लिए ही नहीं, बल्कि आपके व्यक्तिगत विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। मैंने अपने क्षेत्र से जुड़े नए टूल्स और टेक्नोलॉजी सीखना शुरू किया। उदाहरण के लिए, जब मैंने डेटा एनालिसिस के मूल सिद्धांतों को समझा, तो इसने मेरे काम करने के तरीके में क्रांति ला दी। यह मुझे अधिक कुशल और प्रभावी बनाता है। मैंने देखा है कि जब आप कुछ नया सीखते हैं, तो आत्मविश्वास बढ़ता है और काम के प्रति आपकी रुचि बनी रहती है।

2. प्रतिक्रिया के लिए खुले रहें

मेरी नज़र में, विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़ों में से एक है प्रतिक्रिया (feedback) के लिए खुला रहना। मैंने हमेशा अपने वरिष्ठों और सहकर्मियों से अपनी कमियों और सुधार के क्षेत्रों के बारे में पूछने की आदत डाली है। शुरुआत में यह थोड़ा असहज लग सकता है, लेकिन मैंने सीखा है कि यह आपकी पेशेवर यात्रा का एक अनमोल हिस्सा है। यह आपको अपनी गलतियों से सीखने और खुद को लगातार बेहतर बनाने में मदद करता है।

स्व-देखभाल और कल्याण: अपनी ऊर्जा का प्रबंधन

कई बार हम काम में इतने खो जाते हैं कि अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। मुझे याद है, एक समय था जब मैं रोज़ 10-12 घंटे काम करता था और अपने खाने-पीने और सोने पर बिल्कुल ध्यान नहीं देता था। इसका नतीजा यह हुआ कि मैं लगातार थका हुआ और चिड़चिड़ा महसूस करने लगा। मैंने महसूस किया कि अगर मुझे अपने काम में खुश रहना है और लंबे समय तक अच्छा प्रदर्शन करना है, तो मुझे अपनी देखभाल करनी होगी। स्व-देखभाल कोई विलासिता नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है। यह हमारी ऊर्जा को बनाए रखने और हमें तनाव से लड़ने में मदद करती है।

1. नियमित व्यायाम और स्वस्थ आहार

मैंने अपने जीवन में एक छोटा सा बदलाव किया – हर सुबह 30 मिनट की सैर। यह छोटा सा बदलाव मेरी ऊर्जा के स्तर और मूड पर बहुत बड़ा प्रभाव डालता है। साथ ही, मैंने अपने आहार में पौष्टिक खाद्य पदार्थों को शामिल करना शुरू किया और जंक फूड से दूरी बनाई। मेरा मानना है कि जब आपका शरीर स्वस्थ होता है, तो आपका मन भी स्वस्थ रहता है, और आप काम पर बेहतर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं।

2. पर्याप्त नींद

यह सबसे बुनियादी लेकिन अक्सर नज़रअंदाज़ की जाने वाली चीज़ है। मुझे याद है जब मैं देर रात तक काम करता था, तो अगले दिन दिमाग ठीक से काम नहीं करता था। मैंने अपनी नींद के पैटर्न को प्राथमिकता देना शुरू किया और सुनिश्चित किया कि मुझे हर रात 7-8 घंटे की गहरी नींद मिले। पर्याप्त नींद न केवल आपकी एकाग्रता को बढ़ाती है, बल्कि आपके तनाव के स्तर को भी कम करती है।

खुश रहने की आदतें तनाव बढ़ाने वाली आदतें
निश्चित कार्य समय का पालन करना काम को निजी समय पर हावी होने देना
नियमित ब्रेक लेना लगातार बिना रुके काम करना
नए कौशल सीखना पुराने तरीकों से चिपके रहना
सकारात्मक माहौल में रहना नकारात्मक चर्चाओं में शामिल होना
स्व-देखभाल को प्राथमिकता देना शारीरिक/मानसिक स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ करना

संबंध बनाना: कार्यस्थल पर नेटवर्क और समर्थन

कार्यस्थल पर हमारे सहकर्मियों और वरिष्ठों के साथ हमारे संबंध हमारे दैनिक अनुभव को बहुत प्रभावित करते हैं। मैंने सीखा है कि एक मजबूत और सहायक नेटवर्क न केवल आपके करियर के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह आपके मानसिक स्वास्थ्य और काम की खुशी को भी बढ़ाता है। मुझे याद है, एक बार एक मुश्किल प्रोजेक्ट पर काम करते हुए, मुझे लगा कि मैं अकेला हूँ। लेकिन जब मैंने अपने सहकर्मियों से मदद माँगी और उनके साथ अपने विचार साझा किए, तो मुझे न केवल समाधान मिला, बल्कि एक टीम के रूप में काम करने का सुखद अनुभव भी हुआ। यह सिर्फ काम की बातें करने के बारे में नहीं है, बल्कि एक-दूसरे को समझने और समर्थन देने के बारे में है।

1. प्रभावी ढंग से संवाद करें

स्पष्ट और सम्मानजनक संवाद किसी भी रिश्ते की नींव होता है, और कार्यस्थल पर भी यह उतना ही महत्वपूर्ण है। मैंने सक्रिय रूप से सुनने और अपनी बात को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने का अभ्यास किया है। जब आप अपनी अपेक्षाओं को स्पष्ट करते हैं और दूसरों की सुनते हैं, तो गलतफहमियां कम होती हैं और टीम वर्क बेहतर होता है। मुझे याद है, एक बार एक गलतफहमी के कारण काम में देरी हो रही थी, लेकिन जब मैंने सक्रिय रूप से बातचीत की और सामने वाले की बात सुनी, तो समस्या मिनटों में हल हो गई।

2. सहकर्मियों के साथ सकारात्मक संबंध बनाएं

काम पर दोस्त बनाना न केवल माहौल को हल्का करता है, बल्कि आपको एक समर्थन प्रणाली भी प्रदान करता है। मैंने अपने सहकर्मियों के साथ सिर्फ काम से हटकर बातें करने के लिए भी समय निकाला – जैसे उनके वीकेंड प्लान या उनके शौक। ये छोटे-छोटे पल ही कार्यस्थल को अधिक मानवीय और सुखद बनाते हैं। मुझे याद है, जब हम साथ में कॉफी ब्रेक लेते थे या लंच करते थे, तो हम सिर्फ सहकर्मी नहीं, बल्कि एक-दूसरे के दोस्त बन जाते थे, जो काम के तनाव को कम करने में मदद करता है।

छोटी सफलताओं का जश्न: प्रगति को पहचानना

हम अक्सर बड़े लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और छोटी-छोटी सफलताओं को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन मेरे अनुभव में, यही छोटी जीतें हैं जो हमें प्रेरित रखती हैं और हमें आगे बढ़ने की ऊर्जा देती हैं। मुझे याद है, जब मैं अपने करियर के शुरुआती दौर में था, तो मैं हमेशा यह सोचता था कि जब मैं ‘बड़ा’ लक्ष्य हासिल कर लूंगा, तभी जश्न मनाऊंगा। लेकिन मैंने सीखा कि यह एक गलती है। हर दिन, हर हफ्ते होने वाली छोटी-छोटी प्रगतियों को पहचानना और उन्हें स्वीकार करना बहुत महत्वपूर्ण है।

1. अपनी प्रगति को ट्रैक करें

मैंने अपनी प्रगति को ट्रैक करने के लिए एक छोटी नोटबुक रखी या डिजिटल टूल का इस्तेमाल करना शुरू किया। जब मैं देखता हूँ कि मैंने पिछले हफ्ते या महीने में कितना कुछ हासिल किया है, तो यह मुझे एक बड़ी उपलब्धि जैसा महसूस होता है। यह सिर्फ काम पूरा करने के बारे में नहीं है, बल्कि यह देखने के बारे में है कि आप व्यक्तिगत और पेशेवर रूप से कैसे विकसित हो रहे हैं। यह मुझे याद दिलाता है कि मैं एक सही दिशा में आगे बढ़ रहा हूँ, भले ही रास्ता कितना भी लंबा क्यों न लगे।

2. खुद को पुरस्कृत करें

जब आप एक छोटा सा लक्ष्य हासिल करते हैं, तो खुद को पुरस्कृत करें। यह कुछ भी हो सकता है – अपने पसंदीदा गाने सुनना, एक अच्छी किताब पढ़ना, या सिर्फ कुछ देर के लिए अपने शौक में समय बिताना। ये छोटे-छोटे पुरस्कार मुझे काम के प्रति उत्साहित रखते हैं और मुझे महसूस कराते हैं कि मेरा प्रयास सार्थक है। यह एक सकारात्मक सुदृढीकरण है जो मुझे अगले लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

उद्देश्य और अर्थ खोजना: काम में जुनून का संचार

आखिरकार, काम में खुशी तब आती है जब आप उसमें एक गहरा उद्देश्य और अर्थ पाते हैं। यह सिर्फ वेतन के लिए काम करने से कहीं ज़्यादा है। मुझे याद है, जब मैं सिर्फ पैसे कमाने के लिए काम करता था, तो हर दिन एक जैसा लगता था और उसमें कोई जुनून नहीं था। लेकिन जब मैंने अपने काम को अपने मूल्यों और जुनून से जोड़ा, तो यह एक बिल्कुल नया अनुभव बन गया। मैंने सीखा कि जब आप अपने काम को किसी बड़े उद्देश्य से जोड़ते हैं, तो वह सिर्फ एक गतिविधि नहीं रह जाता, बल्कि आपके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाता है।

1. अपने मूल्यों को अपने काम से जोड़ें

मैंने खुद से पूछा कि मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या है और मैं अपने काम के माध्यम से उन मूल्यों को कैसे जी सकता हूँ। उदाहरण के लिए, यदि आप नवाचार में विश्वास करते हैं, तो ऐसे प्रोजेक्ट्स खोजें जो आपको रचनात्मक होने का मौका दें। यदि आप लोगों की मदद करना पसंद करते हैं, तो ऐसे रोल देखें जहां आप सीधे दूसरों के जीवन में बदलाव ला सकें। जब आपका काम आपके व्यक्तिगत मूल्यों के साथ संरेखित होता है, तो यह आपको बहुत अधिक संतुष्टि देता है और आप उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाते हैं।

2. कृतज्ञता का अभ्यास करें

हर दिन, काम के अंत में, मैंने उन चीज़ों के लिए कृतज्ञता व्यक्त करने का अभ्यास किया जो अच्छी हुईं, चाहे वे कितनी भी छोटी क्यों न हों। शायद मैंने एक मुश्किल समस्या हल की, या किसी सहकर्मी की मदद की, या सिर्फ एक ईमेल का जवाब दिया जो महत्वपूर्ण था। यह छोटी सी आदत मेरे दृष्टिकोण को सकारात्मक रखती है और मुझे हर दिन में कुछ अच्छा देखने में मदद करती है, चाहे वह कितना भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हो। यह एक सरल लेकिन शक्तिशाली तरीका है अपने काम में खुशी खोजने का।

글을 마치며

तो, देखा आपने? काम में खुशी ढूँढना कोई रॉकेट साइंस नहीं है, बल्कि यह आपकी सोच और आदतों में छोटे-छोटे बदलाव करने का नाम है। मैंने खुद इन सिद्धांतों को अपने जीवन में लागू किया है और महसूस किया है कि जब आप अपने काम को प्यार करते हैं, तो हर दिन एक नया अवसर लगता है। यह सिर्फ एक अच्छी नौकरी पाने के बारे में नहीं है, बल्कि अपनी मौजूदा स्थिति में ही अर्थ और आनंद खोजने के बारे में है। याद रखें, आप अपनी पेशेवर ज़िंदगी के निर्माता हैं, और खुशी आपके हाथ में है।

जानने योग्य उपयोगी जानकारी

1. सुबह की शुरुआत सकारात्मक सोच के साथ करें: अपने दिन की शुरुआत काम की चुनौतियों के बजाय, उसके अवसरों पर ध्यान केंद्रित करके करें। यह आपके पूरे दिन का मूड निर्धारित करता है।

2. छोटे-छोटे ब्रेक लेना न भूलें: काम के बीच में 5-10 मिनट का ब्रेक लें। टहलें, पानी पिएँ या अपनी आँखें बंद करें। यह आपकी एकाग्रता को बढ़ाता है और थकान कम करता है।

3. कार्यस्थल को व्यवस्थित रखें: अव्यवस्थित डेस्क या कंप्यूटर स्क्रीन तनाव बढ़ा सकती है। अपनी कार्यस्थल को साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखें ताकि आप आसानी से काम कर सकें।

4. नियमित रूप से अपनी उपलब्धियों का मूल्यांकन करें: हर हफ्ते के अंत में, उन छोटी या बड़ी चीज़ों को लिखें जो आपने हासिल की हैं। यह आपको अपनी प्रगति देखने और प्रेरित रहने में मदद करेगा।

5. छुट्टियों का लाभ उठाएँ: काम से ब्रेक लेना अनिवार्य है। छुट्टियों का उपयोग खुद को रिचार्ज करने और अपने जुनून को पूरा करने के लिए करें। यह आपको काम पर लौटने पर अधिक ऊर्जावान महसूस कराएगा।

मुख्य बातें

काम में खुशी पाने के लिए मानसिकता में बदलाव, कार्य-जीवन संतुलन, निरंतर सीखना, स्व-देखभाल, सकारात्मक संबंध और छोटी सफलताओं का जश्न मनाना महत्वपूर्ण है। अपने काम में उद्देश्य और अर्थ खोजने से यह एक जुनून बन जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) 📖

प्र: बहुत से लोग सुबह काम पर जाते समय उदासी या तनाव क्यों महसूस करते हैं?

उ: सच कहूँ तो, ये एहसास मुझे भी कई बार हुआ है। मुझे लगता है कि इसकी कई वजहें होती हैं। कभी-कभी काम का बोझ इतना ज़्यादा हो जाता है कि लगता है दम घुट रहा है। डेडलाइन का प्रेशर, बॉस की उम्मीदें, या फिर सहकर्मियों से तालमेल न बैठ पाना, ये सब मिलकर तनाव बढ़ा देते हैं। और यार, जब रोज़ एक ही रूटीन में बँधकर जीते हैं, बिना किसी नएपन के, तो कहीं न कहीं मन ऊब ही जाता है। मुझे याद है, एक बार तो इतना थक गया था कि बस बिस्तर से उठने का मन ही नहीं करता था। ऐसा लगता है जैसे हमारी ऊर्जा पूरी तरह से खत्म हो गई है और हम बस मशीन की तरह काम कर रहे हैं, बिना किसी खुशी के।

प्र: आज के डिजिटल युग में वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखना इतनी बड़ी चुनौती क्यों बन गया है और यह इतना ज़रूरी क्यों है?

उ: बिल्कुल सही बात है! मैंने तो खुद देखा है कि डिजिटल दौर ने हमारी ज़िंदगी को कितना आसान और मुश्किल, दोनों बना दिया है। पहले काम ऑफिस में ही खत्म हो जाता था, लेकिन अब WhatsApp, ईमेल और मीटिंग्स कभी भी, कहीं भी शुरू हो जाती हैं। मुझे याद है, एक बार छुट्टी पर था, फिर भी लगातार मेल्स आ रहे थे और मुझे लग रहा था कि जवाब देना ज़रूरी है। फोन हमेशा हाथ में रहता है, जिसकी वजह से काम और निजी ज़िंदगी की लाइनें धुंधली हो गई हैं। यह चुनौती इसलिए है क्योंकि हम लगातार कनेक्टेड रहते हैं, कभी खुद के लिए या परिवार के लिए समय ही नहीं निकाल पाते। और पता है, जब ये बैलेंस बिगड़ता है तो इंसान चिड़चिड़ा हो जाता है, नींद नहीं आती और काम में भी मन नहीं लगता। इसलिए, खुश और स्वस्थ रहने के लिए यह संतुलन बनाना बेहद ज़रूरी है, ताकि हम अपनी ज़िंदगी और काम दोनों का मज़ा ले सकें।

प्र: आपने अपनी कार्यशैली और मानसिकता में सुधार लाने के लिए “छोटे-छोटे बदलाव” कैसे किए? कुछ उदाहरण दे सकते हैं?

उ: हाँ, बिल्कुल! मैंने सच में कुछ छोटे बदलाव किए, जिनसे मुझे बहुत राहत मिली। सबसे पहले, मैंने काम के घंटों को थोड़ा फिक्स करना शुरू किया। मतलब, शाम को एक तय समय के बाद ऑफिस के मेल्स और नोटिफिकेशंस देखना बंद कर दिया। शुरू में थोड़ा अजीब लगा, पर बाद में शांति महसूस हुई। दूसरा, मैंने अपनी सुबह को थोड़ा ‘मेरा’ बनाया। ऑफिस के काम से पहले 15-20 मिनट हल्की एक्सरसाइज या अपनी पसंद का म्यूजिक सुनना शुरू किया, इससे दिन की शुरुआत अच्छी होती है। तीसरा, छोटे-छोटे ब्रेक्स लेना सीख लिया। हर घंटे 5 मिनट के लिए उठकर चलना या कॉफी बना लेना, इससे दिमाग को ताज़गी मिलती है। मैंने एक और चीज़ सीखी – ‘ना’ कहना। अगर मुझे लगा कि मैं और काम नहीं ले सकता, तो मैंने विनम्रता से मना करना शुरू किया, ताकि ओवरबर्डन न हो जाऊँ। ये सुनने में भले ही छोटे लगें, पर मेरे लिए ये जादू की तरह काम किए। मेरी मानसिकता बदली और काम का बोझ थोड़ा हल्का लगने लगा।